रायगढ़, 11 जनवरी। गौतम अडाणी की कंपनी ने रायगढ़ जिले में धमाकेदार एंट्री की थी जब अवंता पावर के कोरबा वेस्ट पावर प्लांट को खरीदा था। इस प्लांट का नाम बदलकर रायगढ़ एनर्जी जेनरेशन कर दिया गया। अडाणी ग्रुप के अधीन जाते ही प्लांट की मनमानी बढ़ गई। कंपनी ने उस सरकारी जमीन पर भी कब्जा कर लिया जिसका पजेशन उद्योग विभाग ने दिया ही नहीं है। इस जमीन का प्रकरण अभी भी लंबित है।
छग के पावर प्लांटों को खरीदने के साथ ही कोयला खदानों के एमडीओ पर भी एकाधिकार करने के कारण अडाणी ग्रुप प्रदेश का सबसे बड़ा औद्योगिक समूह बन चुका है। पावर प्लांट, सीमेंट प्लांट के अलावा कई कोयला खदानें कंपनी की झोली में हैं। अब कंपनी ने छग में अपनी ताकत दिखानी भी शुरू कर दी है। आरईजीएल ने बड़े भंडार, छोटे भंडार और सरवानी गांव की रोड और निस्तार की लगभग 2.882 हेक्टेयर जमीन पर बेजा कब्जा कर लिया है। इस जमीन पर अवैध निर्माण भी हो गया है। वर्ष 2010 में इस जमीन का पजेशन उद्योग विभाग को देने के लिए अपर संचालक ने कलेक्टर रायगढ़ को पत्राचार किया था।





इसके बाद कलेक्टर न्यायालय ने प्रकरण दर्ज कर एसडीएम को जांच प्रतिवेदन देने का आदेश दिया था, तब से मामला लंबित है। उद्योग विभाग को जमीन हैंडओवर ही नहीं हुई। सीएसआईडीसी को जमीन मिलने के बाद ही कोरबा वेस्ट वर्तमान में रायगढ़ एनर्जी को जमीन मिलती। यह प्रक्रिया पूरी हुई ही नहीं और जमीन पर कब्जा कर लिया गया। ऐसी कई जमीनें हैं जिन पर कोरबा वेस्ट ने अतिक्रमण किया था। इसमें बड़े भंडार की 0.045 हे. छोटे भंडार की 0.227 हे. और सरवानी की 2.610 हे. भूमि है।
क्या हुआ मजिस्ट्रियल जांच का
कोरबा वेस्ट वही प्लांट है जिसके कूलिंग टावर से गिरकर पांच श्रमिकों की दर्दनाक मौत हो गई थी। तब मामले की न्यायिक जांच के आदेश भी दिए गए थे। इसके अलावा आदिवासी जमीन बेनामी खरीदी के सैकड़ों मामले भी सामने आए थे। इसमें भी सांठगांठ की गई थी। आदिवासियों की जमीन हड़पने के लिए एक ऐसे आदमी को खड़ा किया गया जिसने कभी एसडीएम न्यायालय में हाजिरी ही नहीं दी।
