ओडिशा के कुल्दा माइंस से जेपीएल समेत दर्जन भर कंपनियों को मिलता है कोयला, सडक़ की खराब हालत के कारण एनजीटी ने लिया था स्वत: संज्ञान
रायगढ़। कुल्दा माइंस से रायगढ़ जिले के कई प्लांटों को कोयला परिवहन किया जाता है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने ओडिशा की 23 किमी और छग की 19 किमी रोड को लेकर आदेश जारी किया है। इसके बाद गुरुवार को ही रोड का टेंडर लग गया है। हमीरपुर से हुकराडिपा तक साढ़े 14 किमी रोड के लिए करीब 49 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है।
सुंदरगढ़ जिले के कुल्दा कोल माइंस से रायगढ़ के कई प्लांटों तक कोयला परिवहन होता है। कुल कोयले में से 65 प्रश तो जेपीएल ही लेता है। पूरा परिवहन रोड के जरिए होता है इसलिए दोनों राज्यों की सडक़ें बर्बाद हो चुकी हैं। एक मीडिया रिपोर्ट पर एनजीटी स्वत: संज्ञान लिया था जिसके बाद मामला सुर्खियों में आया है। कुल्दा माइंस से छग की सीमा हमीरपुर तक 23 किमी रोड की हालत बेहद खराब है। इस रूट में आने वाले 14 गांव नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। पूरा कोयला जेपीएल, बालको, डीबी पावर, इंड सिनर्जी, जेएसपी, जेएसडब्ल्यू, आरकेएम पावरजेन, रायगढ़ एनर्जी, एसकेएस पावर आदि को भेजा जाता है।
ज्वाइंट कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर 14 जनवरी को एनजीटी ने आदेश दिया था कि दोनों राज्यों की सीमा में जितनी भी रोड इससे प्रभावित है,उसका निर्माण तत्काल किया जाए। इसकी राशि संबंधित कंपनियों से ही वसूली जाए। इसके पहले एनजीटी के आदेश पर राज्य सरकार ने हमीरपुर से हुकराडिपा तक 14.40 किमी रोड के लिए 49.50 करोड़ की मंजूरी दी थी। अब इस रोड का टेंडर लग गया है। एनजीटी ने अगली सुनवाई में दोनों राज्यों के चीफ जस्टिस को तलब किया है। इस वजह से छग सरकार ने भी मामले को गंभीरता से लिया है।
जिसका जितना कोयला, पैसा भी उतना देगा
एनजीटी ने आदेश में कहा था कि कोयला परिवहन के कारण दोनों ओर की सडक़ें बेहद खराब हैं। इसलिए चार महीने में रोड निर्माण करने का फरमान सुनाया गया है। इसका खर्च दोनों राज्य उठाएंगे। छग के 14.40 किमी के लिए 49.50 करोड़ और ओडिशा के 19 किमी के लिए 125 करोड़ का टेंडर है। इस राशि को कोयला परिवहन की मात्रा के हिसाब से वसूला जाएगा। जेपीएल को 65 प्रश राशि देनी पड़ सकती है।
