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Raigarh News : 4 रेत खदानों के सहारे चल रहे 2 जिले

रायगढ़ में तीन और सारंगढ़-बिलाईगढ़ में एक ही रेत घाट विधिवत संचालित, कई रेत खदानों की ईसी ही नहीं

रायगढ़। 2019 के पहले तक रायगढ़ जिले में 39 रेत खदानें संचालित होती थीं। हर ब्लॉक में रेत घाट स्वीकृत थे जिनका संचालन ग्राम पंचायतों के हाथ था। अब हालात ऐसे हैं कि दो जिलों को मिलाकर कुल चार ही रेत खदान संचालित हो रहे हैं। बाकी सबसे अवैध उत्खनन हो रहा है जिससे शासन को कोई राजस्व नहीं मिल रहा है। पूर्व में जो रेत घाट स्वीकृत थे, आज भी वहां से रेत निकासी हो रही है। भले ही राज्य सरकार ने नीलामी के जरिए रेत खदान आवंटित करने का नियम बना लिया हो लेकिन इस पर अमल नहीं किया जा सका।

रायगढ़ जिले में करीब 39 रेत घाट चल रहे थे। नीलामी के बाद करीब 15 खदानों को आवंटित किया गया जिसकी अवधि दो साल की थी। इसके बाद एक साल का एक्सटेंशन दिया गया। अब उन रेत घाटों की दोबारा नीलामी होगी तभी वहां से राजस्व मिलेगा। वर्तमान स्थिति में रायगढ़ जिले में बोकरामुड़ा, महलोई व तारापुर और सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में एक पिहरा रेतघाट ही चल रहे हैं। इन्हीं चारों के लिए रॉयल्टी जारी करवाई जा रही है। बाकी सभी रेत खदानों से रेत की निकासी तो हो रही है लेकिन राजस्व नहीं मिल रहा है। रायगढ़ और तमनार ब्लॉक के अलावा दूसरे किसी ब्लॉक में रेतघाट नहीं हैं। नीलाम होने के बाद करीब 12 रेतघाटों को पर्यावरणीय स्वीकृति अब तक नहीं मिल सकी है।

रेत की कीमत कम होती
दोनों जिलों में सरकारी और निजी निर्माण कार्यों को रेत सप्लाई इन्हीं चारों रेत घाटों से होनी चाहिए। नियमत: यही होना चाहिए लेकिन इनकी भी खनन की लिमिट है। इन रेत खदानों से लिमिट से अधिक रेत खनन हो रहा है। सारंगढ़ का जसरा रेत खदान से भी अवधि समाप्त होने के बाद भी अवैध उत्खनन हो रहा था, जिसे बंद कराया गया। जिले में अगर ज्यादा रेतघाट होते तो रेत की कीमत और कम हो सकती थी। हालांकि अवैध खनन के कारण रेत के दाम अब भी कम हैं।