रायगढ़, 6 दिसंबर। दुल्हन बनाने का दिवास्वप्न दिखाते हुए दैहिक शोषण कर नाबालिग प्रेमिका को गर्भवती बनाने के बाद उससे पल्ला झाडऩे के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आरोप सिद्ध होने पर दगाबाज आशिक को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 5 हजार रूपये के अर्थदंड़ से दंडि़त भी किया है। अर्थदंड़ नहीं पटाने पर मुल्जिम को जेल में 6 माह अतिरिक्त सजा भुगतना होगा।
न्यायालय सूत्रों के मुताबिक मूलत: महासमुंद जिले के बसना थानांतर्गत ग्राम भरवचुंआ निवासी अलेख अजय का 24 वर्षीय पुत्र छोटू लाल अजय रायगढ़ के जूटमिल चौकी अंतर्गत ग्राम बोंदाटिकरा में रहता था। छोटू ने कक्षा आठवी तक पढऩे वाली एक नाबालिग बाला को शादी का सपना दिखाते हुए प्रेमजाल में फांसा और विगत 7 मार्च 2018 से 7 जुलाई 19 तक लगातार उसकी अस्मत से खेलता रहा। नतीजतन, किशोरी के गर्भ ठहर गया। ऐसे में अपने पेट मे पल रहे 4 माह के शिशु को लेकर चिंतित किशोरी को लगा कि कुंवारी मां बनने के कलंक से बचने के लिए उसे शादी कर लेनी चाहिये।
वहीं, गर्भवती नाबालिग ने लोकलाज के भय से अपने प्रेमी को गर्भ ठहरने की जानकारी देते हुए ब्याह रचाने के लिये दबाव बनाया तो छोटू शादी से मुकर गया। यही वजह रही कि बगैर शादी के मां बनने के कलंक से बचाव के लिए पीडि़ता ने इसकी जानकारी अपनी मां को दी तो मामले की गंभीरता को देखते हुए पारिवारिक सलाह मशविरा के बाद मामला पुलिस के पास पहुंचा। नाबालिग की शिकायत पर जूटमिल पुलिस ने भादंवि की धारा 376 और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधनियम की धारा 6 के तहत आपराधिक प्रमाण पंजीबद्ध करते हुए छोटू को गिरफ्तार कर केस डायरी न्यायालय में पेश किया।
नाबालिग से दुराचार के साथ उसे गर्भवती बनाने के संवेदनशील मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश श्रीमती प्रतिभा वर्मा ने घटना से जुड़े पहलुओं और दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद आखिरकार आरोप प्रमाणित होने पर छोटूलाल अजय को 10 बरस का सश्रम कारावास और 5 हजार रुपए का अर्थदंड देने की सजा सुनाई। इस प्रकरण में शासन की तरफ से विशेष लोक अभियोजक मोहन सिंह ठाकुर ने पैरवी की।
