अब उद्यानिकी विभाग को जरिया बनाकर बीज निगम से खरीदी 200 मशीनें, 100 गौठानों और समूहों को बिना मांगे दिए पल्वेराइजर और रोटरी टिलर
रायगढ़, 12 जनवरी। रायगढ़ जिले में हर रोज भ्रष्टाचार का नया तरीका निकाला जाता है। हाल के सालों में डीएमएफ को लूट का सबसे बड़ा स्रोत बना लिया गया है। जब चाहा ओवररेट पर सामान खरीद लिए और कमीशन दबा लिया। अब पता चला है कि केवल कृषि विभाग नहीं बल्कि दूसरे विभागों के जरिए भी आला अफसरों ने गौठानों के लिए 200 मशीनें खरीदी।
गौठानों के लिए गुणवत्ताहीन मशीनें ब्रांडेड कंपनियों के रेट पर खरीदी गईं। डीएमएफ की राशि को केवल कमीशनखोरी के लिए उपयोग किया गया। जिले के दो पूर्व अफसरों ने इसकी पटकथा लिखी। एक ही विभाग के माध्यम से खरीदी की जाती तो कोई भी सवाल उठासकता था। इसलिए कई विभागों में इसे बांट दिया गया। खरीदी का आदेश बीज निगम को ही मिलना था क्योंकि रोटरी टिलर और मिनी पल्वेराइजर का रेट कॉन्ट्रेक्ट उसी के पास था। पहले वेंडर तय कर कमीशन फिक्स किया गया। इसके बाद कृषि विभाग को 95 गौठानों के लिए मिनी पल्वेराइजर और रोटरी टिलर खरीदने का आदेश दिया गया। आदेश में कंपनी का नाम भी था लेकिन पूरे जिले में सप्लाई करने वाला एक ही आदमी था। रायगढ़ जिले के इन दो आला अफसरों को पूरे देश और प्रदेश में एक ही वेंडर मिला। दरअसल यह सब प्री-प्लान्ड था। अधिकारियों ने कृषि विभाग के माध्यम से बीज निगम को 95 गौठानों में रोटरी टिलर व मिनी पल्वेराइजर की खरीदी का आदेश दिया। ठीक इसी तरह का कांड उद्यानिकी विभाग के जरिए भी किया गया। दोनों बड़े अधिकारियों ने इसी तरह की सौ-सौ मशीनें खरीदी का आदेश इस विभाग से भी दिया। 1.03 करोड़ के सौ मिनी पल्वेराइजर और 99.96 लाख के रोटरी टिलर खरीदे गए।
एक साथ खरीदते तो ब्रांडेड कंपनी को मिलता ठेका
दोनों विभागों को मिलाकर चार करोड़ की गुणवत्ताहीन सामग्री खरीदने का आदेश दिया गया। सप्लाई जैसे ही हुई भुगतान कर दिया गया। यह सब बेहद तेजी से किया गया ताकि किसी को पता चलने के पहले ही कमीशन अंदर हो जाए। दोनों विभागों को आदेश दिया गया कि वे खुद खरीदी न करें बल्कि बीज निगम को दे दें। वहां पंजीकृत वेंडरों से संपर्क कर चाइनीज मशीनों का ऑर्डर दिया गया, क्योंकि कमीशन ज्यादा था। अगर चार करोड़ की मशीनें खरीदने का टेंडर किया जाता तो जाहिर तौर पर कोई ब्रांडेड कंपनी भी सप्लाई के लिए तैयार हो जाती, वह भी कम कीमत पर।
जंग खा रही हैं मशीनें
जिस फर्म से मशीनें खरीदी गईं हैं, उसने पूरे प्रदेश में सप्लाई की है। तीन फर्मों को ही क्रय आदेश दिया गया। रोटरी टिलर तो चीन में निर्मित है जिसे केवल यहां के सप्लायर अपना टैग लगा देते थे। मिनी पल्वेराइजर भी कम कीमत का है लेकिन प्रति मशीन एक लाख रुपए से अधिक राशि खर्च की गई। बीज निगम को भी कमीशन दिया गया। अब यह मशीनें या तो गौठानों में सड़ रही हैं, या स्व सहायता समूह अध्यक्ष के घर में पड़ी है। ज्यादातर तो खराब हो चुकी हैं। अभी दो विभाग के जरिए खरीदी का आंकड़ा मिला है जो और आगे बढ़ेगा।
